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हिन्दी के प्रति (6) पहँचान !

  (हिन्दी-पखबाड़े में तीसरी रचना)
 (सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
हाँ, हमारी संस्कृति की पहँचान है हिन्दी !
राष्ट्रभाषा और राष्ट्र की शान है हिन्दी !!
हिन्दी में विरासतें हमारी संरक्षित हैं-
विश्व में भारत की तो जान है हिन्दी !!
कबीर, सूर, तुलसी और मीरा की चहेती है-
भक्ति-प्रेम का समन्वित ज्ञान है हिन्दी !!
 जायसी, के लिए चित्र परिणाम

जायसी, खुसरो, रहीम को यह बहुत प्यारी है-
सुजान रसखान की रस-खान है हिन्दी !!
 

बिहारी की ‘गागर’ में ‘सागर’ बन लहराई-
भक्ति में श्रृंगार का मिलान है हिन्दी !!

                                                   

दीनबन्धु सी.एफ. एंड्रयूज़ की यह श्रद्धा है-
भेद-भाव-रोग का निदान है हिन्दी !!
फादर कामिल बुल्के ने इसको निखारा है-
अपनत्व में गगन के समान है हिन्दी !!
उर्दू इसे अनुजा सी प्यारी है दुलारी है-
दरिया दिल धरती सी महान है हिन्दी !!

 

अंग्रेज़ी अच्छी चन्द शहरों की भाषा है-
अस्सी प्रतिशत देश की ज़ुबान है हिन्दी !!
राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधे है-
सच पूछो तो तिरंगे का निशान है हिन्दी !!
हिन्द की भाषाओं का, हिन्दी समागम है-
हर मौसम, हर ऋतु का रुझान है हिन्दी !!
नेताओं के मकड़-जाल में फँसी तितली सी-
सियासत-कुचक्र से बेजान है हिन्दी !!
मधुवन के हर “प्रसून”-गन्ध से सुवासित है-
वसन्त की बहार का सामान है हिन्दी !!


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