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तेरे नाम करूँ


दौलत की क्यों चाह तुझे है,यह दिल तेरे नाम करूं ?
मुझे पिला दे प्यार की मदिरा, महफ़िल तेरे नाम करूं ||

तू कश्ती बन जा प्रिय आए जीवन के तूफानों में-
मेरी मोहब्बत के हरियाले साहिल तेरे नाम करूं ||

अरमानों के कोहेतूर में आग लगा के भस्म करूं-
लगा ले अपनी इन आँखों में, काजल तेरे नाम करूँ||

मधुर कल्पना के मृग-छौने आशाओं के फूल खिले-
महक लुटाते, रूप लुटाते जंगल तेरे नाम करूँ ||

तेरे दर्द अमंगल जैसे,मैं हर लूँगा दो पल में-
तुझ पे वारूं कई जन्म के मंगल तेरे नाम करूँ ||

"प्रसून"का हर वजूद तुझसे,तुझ पर ही न्योछावर है-
तपती जेठ पे छाया करते बादल तेरे नाम करूँ||





































































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